मुसाफिर तो सफ़र बनाता है,
कभी तर – बतर भटकाता है,
तो कभी मंज़िल तक पहुंचता है।
मेरी भी कुछ ऐसी ही ख्वाहिश है,
अब तक पूरी तो नहीं हुई, पर कहते है शिद्दत से मांगो तो, सब मिलता है।
ऐसी ही कुछ कहानी है मेरी जिसमें,
मंज़िल मेरी, पास होते हुए भी दूर है,
कभी लगता है, मेरी ही चाहते मजबूर है।
बहुत समय से ज़ंजीरों से बंधी हुई हूं,आज जब चाबियां खोजने की कोशिश की,
तब समझ आया, की उन्हे तो अपने ही जेबों मे भरी हुई हूं।
हां, बहुत समय से इकट्ठा हो रही थी, इसलिए उलझ तो गई हैं,सुलझाने मे थोड़ा वक्त भी लगेगा,
लेकिन ये जंजीरें खुलेंगी जरूर।
बचपन से अब तक एक बात तो सीख ही ली है कि –
“यादें तो सफ़र बनाता है, वही उठाता है, और वहीं गिराता है।जो ये सफ़र मज़े से तय करले, वो मुसाफिर कहलाता है।”
इस सफर में रुकना मना है।
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Ab to iss safar ki gaadi nikal chuki hai.😇
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बोहोत बढ़िया।
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